शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता-ऐसे हालात क्यों हैं
ऐसे हालात क्यों हैं
तेरे इस संसार में भगवन,
ये ऐसे हालात क्यों हैं।
क्यों खुद की फिकर सबको यहां,
फिर कोई कोई परेशान क्यों है।।
लड़ रहे बेवजह हम सभी क्यों,
जब खून का रंग एक तो
फिर इंसान में अभिमान क्यों है।।
देखता हूं चहकते परिंदों को मैं,
तो फिर कुछ परीदें बेजुबान क्यों हैं।
कहते हैं हम एक वतन के वाशिंदे है,
तो कहीं अपने तो कहीं पराए क्यों हैं।
जब हम सभी इंसान कहलाते,
तो फिर इंसानों में यहां
दिलों में छूत अछूत क्यों है
कौन खेल रहा ये खेल संसार में,
तो कहीं मीठी जुबान यहां
फिर पीठ पीछे खंजर क्यों है।
तेरे रहते यहां बाजार सजे हैं
कहीं जिस्म के तो कहीं मौत के क्यों हैं।
बिक रही बेशर्मी से आबरू यहां
तो कहीं कोख में ही मौत क्यों है।
कहते हैं तू सबके दिल में रहता है,
तो धरा में मंदिर तो कहीं मजार क्यों है।
जब कण कण में वास तेरा भगवन,
तो कहीं घमंड इंसानों में
तो कहीं अपमान क्यों है।
कहते है तू संकट में सबका साथ देता,
फिर इंसान यहां दवा और
हवा के लिए परेशान क्यो है।
सुना है तू ऊपर आसमान में
बैठे सबकी तकदीर लिखता,
फिर कोई यहां गरीब और
कोई अमीर क्यों है।
कहते हैं तू सबको नसीब बांटता,
तो कोई नसीब वाला यहां
तो कोई बदनसीब क्यों है।।
आखिर क्यों क्यों क्यों क्यों?
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत सुन्दर