शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता-राखी की कहानी
राखी की कहानी
राखी की भी है क्या गजब कहानी,
धागा रेशम का प्यार की निशानी।
दुःखी थे भगवान गणेश जी मन में बहुत।
उनके दो बेटों की न थी बहिना रानी।।
शुभ- लाभ थे दो जिद्दी बेटे उनके,
बिना बहिन के छोड़ दिया अन्न और पानी।
विवश होकर भगवान गणेश जी को अब,
संतोषी माता रूप में बहिन थी दिलानी।।
खुशी से झूम उठे शुभ लाभ दोनों,
बहिन रूप में पायी संतोषी रानी।
बांध डाला दोनों ने धागा हाथ में बहिन के,
शुरू कर दिया अन्न जल और पानी।।
भाई बहिन का प्यार छलक उठा मन में,
शुरू हुई ऐसे रक्षाबंधन की कहानी।
कितना पवित्र बंधन है इस धागे का,
जनम जनम तक याद रहेगी निशानी।।
दूसरी घटना सुनो राखी की, मेरे देशवासियों।
ये है चित्तौड़ की रानी करणावती की कहानी।
अचानक हमला कर बैठा सुल्तान बहादुर शाह,
मिटाने को आतुर करणावती की निशानी।।
पवित्र राखी का धागा भेजा सम्राट हुमायूँ को,
हुमायूँ सम्राट भी था बड़ा स्वाभिमानी।
पवित्र राखी को देखा जब हुमायूँ ने,
अब तो थी बहिन की लाज बचानी।।
तुरंत चल पड़ा सेना के साथ रणभूमि में,
बचाने लगा बहादुर शाह अपनी जवानी।
भाग खड़ा हुआ रणभूमि से वो कायर,
उसने राखी की ताकत जो पहचानी।।
कितना पवित्र धागा है स्नेह प्रेम का,
हुमायूँ को थी राखी की रश्में निभानी।
नहीं था रिश्ता खून का फिर भी,
बहिन की थी उसे लाज बचानी।
यही है राखी की शुरू होने की कहानी।
काश इस कलयुग में भी ऐसे इंसा होते,
तो बलि नहीँ चड़ती निर्भया की जवानी।
हैवानियत के दुश्मन समझते मोल राखी का तो,
मनिशा बाल्मीकि की न मिटती आवरु और जवानी।।
खून का रिश्ता न था हुमायूँ, करणा वती में,
फिर भी राखी की कीमत थी पहचानी।
अगर समझे मन से इस पवित्र बंधन को सब,
नहीं पड़ेगी किसी बहिन को जान गंवानी।
माँ चाहिए पत्नी चाहिए पर बेटी नहीं,
फिर क्यों रक्षाबंधन पर याद आती गुड़िया रानी।
मानों सच्चे दिल से राखी के वचन को,
तो जिंदा रहेगी राखी की अमर कहानी।।
अमर कहानी, अमर कहानी।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।