शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता-ऊँची उड़ान
ऊँची उड़ान
हथेली पर जान लिए वो,
ऊँचे आसमां में उड़ चला ।
साहस तो देखो उसका इतना,
बादलों को भी पीछे छोड़ चला।।
उड़ने का मजा क्या होता जीवन में,
बाज पंछी से जाने कोई भला।
साहसी वही है इस जगत में,
जो प्राण न्यौछावर करने चल पड़ा।।
कुछ तो सीखें हम पंछी बाज से,
निडर होकर वो आसमाँ में उड़ चला
अपनी मंजिल पाने की खातिर वो,
बादलों को भी मात दे चला।।
जिसने जीवन भर रेंगना सीखा,
अपना लक्ष्य को वो खो चला।
जीवन पथ पर रेंगने लगे तो,
रेंगने से तो है मरना भला।।
सोचो कुछ अपने मन में मानव,
आगे पथ पर बढ़ना है भला।
तभी सफल होंगे हम जीवन में,
जब तू मन में कुछ करने की ठान चला
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।