प्रकृति के चितेरे कवि को लेकर शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता-जब उनसे मिलन होगा
जब उनसे मिलन होगा
मंजिल मौत है यहां,
फिर भी राहों पर दौड़े जा रहे।
ऐसे ही चन्द्र भी चले गए थे,
फिर धरा में मिलन करने आ रहे।।
लगता परिंदों को भी पता चल गया,
इसीलिए तो मधुर गीत गा रहे
इंतजार में देखो परिंदे उनके,
डाली डाली उडें जा रहे।।
बस कुछ ही दिन की तो बात है,
वे हिमशिखरों से आ रहे।
पुष्प कलियां पेड़ पौधे भी,
उनके लिए रास्ते सजा रहे।।
मैं भी उनसे मिलना चाहूं,
शायद 21 अगस्त को वे आ रहे।
मधुर मिलन होगा हम सबका जब
धरा गगन भी खड़े आज मुस्कुरा रहे।।
हैं चन्द्र बैठे हृदय में प्रकृति के,
जैसे पतंग दीपक से मिलने आ रहे।
कैसा होगा वो दृश्य तब,
जब मिलने वे प्रकृति से आ रहे।।
सुगंधित मलय पवन लेकर वे,
जग में महक बिखेरने वे आ रहे।
अपनी धीमी आहट को लेकर,
अपने मधुर गीत सुनाने वे आ रहे।
मैं तो उनके गीत गा चुका हूं,
सब क्यों नहीं उनके गीत गा रहे।
ऐसा लाल जन्मे धरा रुद्रप्रयाग में,
फिर अपनी यादें दिलाने आ रहे।।
यदि है थोड़ा भी प्रकृति से प्रेम तो,
उनको सब मिलकर याद करें।
21 अगस्त को प्रकृति के चितेरे,
हम सबसे मिलन करने आ रहे।।
आ रहे, आ रहे, आ रहे।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।