शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कविता-कहां जाऊं मैया चरण छोड़कर मैं
चरण छोड़कर मैं
कहां जाऊं मैया चरण छोड़कर मैं।
कहां जाऊं मैया चरण छोड़कर मैं
मिलाना सहारा मुझे जब कहीं पर
वही तो सहारा मिला है यहां पर ।
कहां जाऊं मैया चरण छोड़कर मैं
कहां जाऊं…………………..
मिला ना उजाला मुझे जब कहीं पर
वहीं तों उजाला मिला है यहां पर।
कहां जाऊं मैया चरण छोड़कर मैं
कहां जाऊं मैया…………….
मिला ना किनारा मुझे जब कहीं पर
वही तो किनारा मिला है यहां पर
कहां जाऊं मैया चरण छोड़कर मैं
कहां जाऊं मैया………………
मिली न चरण धूल मुझको कहीं पर
वहीं तों चरणधूल मिली है यहां पर
कहां जाऊं मैया चरण छोड़कर मैं
कहां जाऊं मैया……………
मिला ना वरद हस्त मुझको कहीं पर
वहीं तों वरद हस्त मिला है यहां पर
कहां जाऊं मैया चरण छोड़कर मैं
कहां जाऊं मैया………………….
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।