शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कविता-मेरा घर ऐसा होता
मेरा घर ऐसा होता
काश !मेरा घर कुछ ऐसा होता
चारो तरफ नदियों का घेरा होता
पेड़ पर बैठी कोयल गुनगुनाती
उसकी गुनगुनाहट में मैं सो जाती ।
मन्द हवा का सोफा होता
उस पर मुझको झूला झूलाता
पहाड़ों की देख हरी सी चादर
मेरे घर को छूले नीला सागर।
मेरे घर में जब कोई आता
देख के घर को मन मुग्ध हो जाता
होता चारों तरफ नदियों का घेरा
मेरा घर कुछ ऐसा ही सुन्दर होता।
फूलों का सुन्दर बिस्तर होता
भौरा उस पर राग सुनाता
तितली उस पर पंख फहराती
सबके मन को वह भा जाती।
नीला अम्बर को वह छू जाता
बादल कोहरा भी साथ होता
काश ! मेरा घर कुछ ऐसा होता
चारों तरफ नदियों का घेरा होता।
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।