शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कविता-जूगनूं

जूगनूं
नहीं डरता मैं अंधेरे से
मैं तो प्रकाश देता सबको
एक छोटा-सा उजाला देकर
मैं राह दिखाता हूं सबको
ढ़ूढ़ रहा उन खोये को
जोअंधेरै में गुम हो जातेहै
जो अपनी जिन्दगी में
प्रकाश नहीं दे पाते हैं।
उनको साहस दृढ़ता का
मैं पाठ उन्हें पढ़ाता हूं
मत कमजोर बनो तुम
हिम्मत उन्हे बधाता हूं।
कितना भी दूर हो जाये कोई
छोड़ न देना कभी उसको
प्रेम प्यार से बने रहोगे
तोड़ न पायेंगे कोई तुमको।
मैं जूगनूं हूं चलता रहता
थोडा प्रकाश दिखाता हूं
अपनो को ढूंढने में मैं
पूरी ज़ोर लगाता हूं।
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।





