शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कविता-घनन घन घन मेघ बरसे
घनन घन घन मेघ बरसे
बन संवर कर बिजली चमके
आगे पीछे हवा चलती
दरवाज़े खिड़कियां भी खनके।
घनन…………………
बादलों की घोर गर्जन
पहाड़ों में हुई दरकन
फोड़े पटाखे काले बादल
बिजली कैसी नाचती दन।
घनन घन………………
पेड़ कैसे थिरकते हैं
शाखाएं हिलाकर है हंसते
धूल उड़ाती आंधी नाचती
मेघ देखो हंसते हंसते।
घनन घन………………
होते खुश देखो ताल पोखर
लताएं भी हिल हिल रहीं हैं
झुमर झुमर कर वन उपवन
खग मृग भी गा रहीं हैं।
घनन घन……………….
मोर अपना पंख फैलाए
भौंरे चिड़िया गीत गाए
मेंढ़क भी है टर्र टर्राये
मस्त हुआं मेघ सावन ।
घनन घन……………..
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।