शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कविता-दहेजः डरते हैं सब देख कर पुलिस की वर्दी

दहेज
मां- बाप देते हैं हमें
दूसरों के घर भेज
सास ससुर भी कहे
क्या लायी तू दहेज
क्यों लगते है हम
सबको इतना बोझ
ताने देते हैं सब हम को
घर के अन्दर रोज।
हमको भेज देते हैं
बहुत से काम पर
जेठानी कहती हैं
आ जा अब तू भी मर
नन्द देवर कहें भाभी
कर दो सारा काम
नहीं किया तो गांव में
हम कर देगे बदनाम।
सब कहते हैं लायी क्या
जो देगे हम तुझे
क्या इस घर पर इतना
भी हक नहीं हैं मुझे
मेरे प्रिय से सब कहे
माइका भेज दो इसे आज
बचानी है जो तुमको
हम सबकी लाज ।
इस घर पर है सब बेदर्दी
मजबूरी में भेजनी पड़ती
है कोर्ट को अर्जी
डरते हैं सब देख कर
पुलिस की वर्दी
अब करते हैं मुझसे
थोड़ी हमदर्दी ।
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।