शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कविता-समय की पुकार

समय की पुकार
जब जेसा समय आता है
समय वैसा ही पुकारता है
जब युद्ध की डंका नाद बजती
समय वैसा हीं पुकारता है।
जब समय पूजा का आता
समय का डंका वैसा बजता है
जब समय शादी का आता
समय का डंका वैसा ही बजता
समय को कोई छोड़ न पाये
यह हर पल संग में चलता
अन्त समय जब भी आये
समय का डंका तब भी सजता।
समय का चक्र बड़ा अद्भूत है
इसको कोई पकड़ न पाये
कोई इसको पकड़ना चाहे
वह समय को पहचान पाये।
समय की किमत बड़ी निराली
समय सुक्श है कर हरियाली
समय कोई समझ गया तो
उसने जीवन की खुशी ले डालीं।
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।