शिक्षिका डॉ. पुष्पा खंडूरी की कविता-तिरंगा
तिरंगा
तिरंगा देश की शान है तू ,
तिरंगा देश का मान भी तू।
ये देश अखण्ड रहे हमारा,
तिरंगा देश -प्रेम का नारा॥
15 अगस्त 1947 की आज़ादी,
शहीदों की कुर्वानी का थी मोल!
तीन रंग में सिमटी बलिदान कथा
देशभक्ति तिरंगे झंडे का है तोल॥
जनगन मन अधिनायक तू ,
भारत का भाग्य विधायक तू।
जै हिन्द ,जै भारत का प्रहरी,
तुझमें है देश की भक्ति गहरी॥
नील गगन को छूता सा तू ,
भारत माँ का आँचल प्यारा॥
दुनिया में तू सबसे सुंदर।
सारे जग से लगता न्यारा॥
भारत माँ की सरहद पर है,
तेरे प्यारे जांबाजों की बस्ती।
दुश्मन को ललकार लगाती,
तेरी झूम -झूम फहराती हस्ती॥
दूर विदेश में जब तू दिखता,
मातृभूमि की याद दिलाता॥
आफत में हम जबभी होते।
तारणहार है तू बन जाता॥
यूक्रेन में फंसे जब तेरे प्यारे,
लगे पार सब तेरे ही सहारे।
तिरंगे में लिपट शान से सैनिक।
जान गंवा कर भी अमर कहाते॥
तीन रंग को दिल में बसाकर,
खेल खिलाड़ी जी जान लगाते।
स्वर्ण पदक के ढ़ेर लगा कर।
सबमें देशप्रेम की अलख जगाते।
भारत माँ का आँचल प्यारा।
अटल हिमालय सा ऊँचा तू॥
गंगोत्री सा पावन न्यारा।
देश मुकुट शहंशाह हमारा॥
कवयित्री की परिचय
डॉ. पुष्पा खंडूरी
प्रोफेसर, डीएवी (पीजी ) कॉलेज
देहरादून, उत्तराखंड
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।