Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 10, 2025

गणतंत्र दिवस पर शिक्षिका डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-तिरंगा

तिरंगा
तिरंगा देश की शान तू देश की आन भी है तू
देश अखण्ड है इसका पुख्ता – प्रमाण भी तू ॥
विदेशों में भी जब दिखे
भारत माँ का आँचल
फहरता – लहराता सा तू
तब कितना अपना सा बस लगता है तू
मेरा मान सम्मान है तू
तिरंगा देश की शान तू देश का मान भी है तू
देश अखण्ड है इसका पुख्ता प्रमाण भी है तू
हंसते -हंसते जो तेरे हित झूल गए थे फांसी पर
सरहद पर जिन्होंने हैं वार दिए अपने सब
रिश्ते – नाते प्यारे
जननी का आँचल, शिशुओं की लोरी, बहिनों की राखी
प्रिया के सिंदूर की लाली
सरहद के उन रखवालों
की आन -बान और
अरमाने शान भी है तू ।
तिरंगा देश की शान तू देश की आन भी तू
तिरंगा देश का मान तू दे
‘ये देश अखण्ड है ‘ इसका पुख्ता प्रमाण भी तू ।
वीर शहीद भगत सिंह , सुखदेव, उधमसिंह, वीर सावरकर
और आजाद सरीखे अगनित जांबाजों की फांसियों पर फंसी
गर्दनें कर गई शत् नमन
तिरंगे तेरी गगन चुम्बी
उड़ाने शाने हिंद सरहदे महफूजे वतन के लिए।
तिरंगा देश की शान तू देश की आन भी है तू
देश अखण्ड है इसका पुख्ता प्रमाण भी है तू
जवां दिलों की हसरत तू
सरहद पर फहरता हुआ भारत का प्रहरी भी है तू
दुश्मन को थर्रा दे जो वो सिंह सी ललकार भी तू
शहीद के पार्थिव शरीर पर लिपटे तो माँ के आंचल सा प्यार भी तू।
जय हिन्द , वन्देमातरम् की गूँज – टंकार भी तू।
गंगोत्री सा पावन है तू अटल हिमालय की तो
ऊँची परवादें शान भी तू
देश की उठी हुई नजरें है
भारत की बुलंदियों की पहचान भी है तू।
तेरी शान में तैनात जवानों की तो राहें मंजिले मक्सद है तू
भारत माँ की साड़ी बिन्दी श्रृंगार भी है तू।
जन – गन – मन सा अधिनायक है तू
भारत का भाग्य विधायक है तू ….
जै हिंद।
कवयित्री का परिचय
डॉ. पुष्पा खण्डूरी
प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हिन्दी
डी.ए.वी ( पीजी ) कालेज
देहरादून, उत्तराखंड।

Bhanu Prakash

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *