Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 8, 2024

कोरोना संक्रमित व्यक्ति की व्यथा पर शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता

कोरोना संक्रमित व्यक्ति की व्यथा पर शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता।

मत देखो नफरत भरी निगाहों से

मत देखो इंसान मुझे,
नफरत भरी निगाहों से।
मेरा भी इस गांव से नाता,
सोचो मै भी कितना परेशान हूं।

मुझे भी गांव से प्यार बहुत है,
पर बातों से आपकी हैरान हूं।
दूरियां क्यों बना ली मुझसे इतनी,
लगता कि जैसे मैं शैतान हूं।।

14 दिन मैं भी क्वारिंटिंन रहना चाहूं,
नहीं मैं बीमारी से अनजान हूं।
इतना भी भेदभाव न करो मुझसे,
सोचो तो मैं भी कितना परेशान हूं

क्या क्या नहीं सहा शहर में मैंने,
गांव में भी आज अपनों से अनजान हूं।
मुझे पराया मत समझो तुम गांव वालो,
मैं भी तो इस गांव की पहचान हूं।

मैं भी चाहता गांव में कोरोना ना फैले,
तभी अलग हूं अपनों से भी अनजान हूं।
बस नफरत से न देखो मुझको,
मैं भी तो एक इंसान हूं।।

क्या होता है अपनों से दूर होने का दुख,
मैं ही अपनो के लिए जहान हूं।
अरे बुरा वक्त तो बीत ही जाएगा,
सोचो मैं भी एक तो इंसान हूं।।

मैं भी कह रहा तुमसे इस वक्त,
नहीं दुख क्यों आज अकेला हूं।
दूरी मास्क सफाई नियम निभाओ
दूरी मास्क कहती मैं ही अब दवाई हूं।।

मत देखो नफरत भारी निगाहों से,
मै भी तो एक इंसान हूं।।
मेरा भी इस गांव से नाता,
सोचो मैं कितना आज परेशान हूं।
परेशान हूं, परेशान हूं, परेशान हूं

कवि का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “कोरोना संक्रमित व्यक्ति की व्यथा पर शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page