शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता-समय हूं मैं
समय हूं मैं
समय हूं मैं अच्छा था या बुरा,
वक्त के साथ गुजर जाऊंगा।
पर मुझे पता है, किसी को खुशी,
तो किसी को गम दे जाऊंगा।।
जिंदगी उलझनों में पड़ी है जो आज,
उलझने मैं ही सुलझाऊंगा।
तुमने घमंड में पहचाना नहीं मुझे,
तुझे अपनी ताकत जरूर दिखाऊंगा।।
पर ठहर जा कुछ पल अपनों संग,
तभी तो मैं मुस्कुरा ऊंगा।
बहुत कीमती है तेरी जिंदगी,
कितनी बार मैं तुझे समझाऊंगा।।
पर अब सच मान ले मेरी बात,
अगले बरस मीठी मुस्कान लाऊंगा।
यकीन तो कर ले मुझ पर अब,
फिर सबको खुशी दे जाऊंगा।।
वक्त हूं मैं,
समय के साथ बदल जाऊंगा।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।