शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता-रोजगार दो
रोजगार दो
रोजगार दो रोजगार दो,
कोई तो हमें कुछ उधार दो।
बेरोजगार हूं, बेरोजगार हूं,
सरकार जी कुछ तो रोजगार दो।।
जेब में खाली डिग्रियां ही डिग्रियां,
कुछ तो खर्चा, कलदार दो।
मुर्गी पालन दो,सब्जी उत्पादन दो,
सरकार जी कुछ तो रोजगार दो।।
अब तो आवेदन भरने के लिए
कुछ तो कलम दो कुछ पैसे दो,
थोड़ा बहुत है जो मेरे पास,
उसे तो मेरे पास रहने दो।
सरकार जी कुछ तो रोजगार दो।।
अब तो सामान्य ज्ञान बुक के लिए
कुछ तो मुझको,रुपए उधार दो।
चुका दूंगा उसका कर्जा मै,
सरकार जी कुछ तो रोजगार दो।
अब तो प्रश्न उत्तर सब भुल चुका मै,
कुछ तो नोट्स बनाकर दो।
पर नोट्स का करना भी क्या,
इसके बदले कुछ रोजगार दो।
सरकार जी कुछ तो रोजगार दो।।
बैक डुवर से खूब नौकरियां ही नौकरियां,
अब तो रिश्वत मत लेने दो।
नौकरी के लिए जुगाड कैसे करें,,
सरकार जी कुछ तो रोजगार दो।।
कोरोना पर क्यों इतना हो हल्ला,
उसका न इतना भी प्रचार करो,
चला जाएगा वक्त रहते वो,
सरकार जी कुछ तो रोजगार दो।।
कर्जा देने से कुछ नहीं होगा अब,
रोजगार की कुछ योजना दो,
नहीं दे सकते रोजगार तो,
कोरोना ही हमको उधार दो।।
कैसे जिएं विना रोजगार के हम,
कुछ तो खुशियों की बहार दो।
अविरल पथ पर बढ़ेगा देश हमारा,
सरकार जी कुछ तो रोजगार दो।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत सही रचना, रोजगार दो