Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 7, 2024

तमिल छात्रों ने उत्तराखंड शहीद शौर्य स्थल के लिए प्रदान की 25 हजार रुपये की सहायता राशि, जानिए यहां की खासियत

त्रिचिरापल्ली में प्रधानाचार्य राम सुब्रमण्यम ने पूर्व सांसद तरुण विजय को नन्हे तमिलनाडु छात्रों की ओर से एकत्र पच्चीस हजार रुपए अर्पित कर एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया।

त्रिचिरापल्ली में प्रधानाचार्य राम सुब्रमण्यम ने पूर्व सांसद तरुण विजय को नन्हे तमिलनाडु छात्रों की ओर से एकत्र पच्चीस हजार रुपए अर्पित कर एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के वीरों ने केवल अपने प्रदेश के लिए नहीं, बल्कि सारे भारत की रक्षा के लिए बलिदान दिया है। इसलिए हर प्रांत के लोगों का कर्तव्य है कि वे इस महान कार्य में अपना योगदान दें। करुर, चेन्नई, मदुरै , कोयम्बतूर में विद्यालयों में छात्रों से उक्त धनराशि एकत्र की गई है। पूर्व सांसद (राज्यसभा सदस्य) एवं युद्ध स्मारक के अध्यक्ष तरूण विजय ने इस योगदान को सबसे महत्वपूर्ण योगदान बताया और कहा कि वे उत्तराखंड में भी छात्रों से युद्ध स्मारक हेतु दीवाली निधि संकलन प्रारम्भ कर रहे हैं।

शौर्यस्थल की खासियत
आपको बता दें कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के कैंट रोड स्थित राजभवन के निकट चीड़बाग में शौर्य स्थल का निर्माण किया गया है। इस शौर्य स्थल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां पर पहले, दूसरे विश्व युद्ध के साथ भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों के नाम की लिस्ट लगाई गई है। शौर्य स्थल पर पाकिस्तान युद्ध का जिक्र किया गया है। इससे यहां आने वाले लोगों को भारत-पाकिस्तान व भारत-चीन युद्ध के बारे में जानकारी भी मिलेगी। यहां शहीद हुए जांबाज जवानों के नाम की सूची भी है। यहां तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर ने इसका भूमि पूजन किया था। स्मारक प्रदेश के लगभग 15 सौ शहीदों को समर्पित है।

शोभा बढ़ा रहा है मिग 21 विमान
चीड़बाग स्थित युद्ध स्मारक शौर्य स्थल में मिग 21 विमान भी शोभा बढ़ा रहा है। पूर्व सांसद (राज्यसभा सदस्य) एवं युद्ध स्मारक के अध्यक्ष तरूण विजय ने बताया कि वार मेमोरियल में मिग 21 रखने का प्रस्ताव करीब दो साल पहले कैंट बोर्ड की बैठक में पास हुआ था। यह मिग 21 रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के विशेष प्रयास से प्राप्त हुआ है। भारत में 1964 से मिग 21 विमान का इस्तेमाल शुरू हुआ है। ये इकलौता ऐसा विमान है, जिसका इस्तेमाल दुनियाभर के करीब 60 देशों ने किया है। मिग 21 एविएशन के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक संख्या में बनाया गया सुपरसोनिक फाइटर जेट है। पाकिस्तान के साथ हुए 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी मिग 21 ने मुख्य भूमिका निभाई थी। मिग 21 लड़ाकू विमान की रफ्तार 2229 किमी प्रति घंटा की है। इसमें टर्बोजेट इंजन लगा हुआ है, जो विमान को सुपरसोनिक रफ्तार देता है।

इस मिग 21 विमान को वायुसेना के जौधपुर स्टेशन से दो ट्रक में खोलकर लाया गया था। इसे देहरादून पहुंचने में तीन दिन लगे। साथ ही वायुसेना का 10 कार्मिकों का स्टाफ आया था, जिसने इस विमान को जोड़ा था। पूर्व सांसद तरूण विजय ने बताया कि अब इस युद्ध स्मारक में नौ सेना का मिसाइल युद्धपोत का मॉडल भी आना है। जो इस वार मेमोरियल की शोभा में चार चांद लगाएगा।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page