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March 12, 2025

तालिबान का पंजशीर घाटी पर कब्जे का दावा, कहा-हम युद्ध के दलदल से निकल गए बाहर

तालिबान ने सोमवार को पंजशीर घाटी में पूरी तरह कब्जा करने का दावा किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान का दावा है कि विद्रोह के आखिरी गढ़ पंजशीर पर कब्जा कर लिया गया है।

अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जे के बाद पंजशीर घाटी पर कब्जा जमाने को लेकर तालिबान का अफगान नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट के साथ पिछले कुछ दिन से संघर्ष चल रहा था। इस बीच तालिबान ने सोमवार को पंजशीर घाटी में पूरी तरह कब्जा करने का दावा किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान का दावा है कि विद्रोह के आखिरी गढ़ पंजशीर पर कब्जा कर लिया गया है। तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने एक बयान में कहा कि इस जीत से हमारा देश पूरी तरह से युद्ध के दलदल से बाहर निकल गया है।
सोशल मीडिया पर सामने आ रही तस्वीरों में तालिबान के लड़ाके पंजशीर के प्रांतीय गवर्नर के परिसर के गेट के सामने खड़े नजर आ रहे हैं। पूरे अफगानिस्तान पर नियंत्रण के बावजूद एक इलाका ऐसा था जो तालिबान के नियंत्रण से बाहर था। तालिबान के एक प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि पंजशीर के हर जिला मुख्यालय, पुलिस मुख्यालय और सभी दफ्तरों पर कब्जा कर लिया गया है।
ऐसी जानकारियां भी आ रही हैं कि सेंट्रल पंजशीर पर तालिबान का कब्जा हो गया है। जनरल जरात ने फ्रंट को धोखा दिया जिसके बाद तालिबान ने सेंट्रल पंजशीर पर कब्जा कर लिया। पंजशीर रोड पर तालिबान का कब्जा है, जबकि घाटी अब भी नॉर्दन फ्रंट के कब्जे में ही है। अहमद मसूद और अमरुल्लाह सालेह पंजशीर घाटी में ही हैं।
पंजशीर पर कब्जे के तालिबान के दावे का नॉर्दन अलायंस की ओर से खंडन कर कर दिया गया है। नॉर्दन अलायंस का समर्थन कर रहे ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत जहीर अघबर ने कहा कि भीषण झड़प हुई है, लेकिन वे (तालिबान) यहां (पंजशीर पर) कब्जा नहीं कर पाए हैं। तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जे का दावा किया है, लेकिन पंजशीर अब भी उसके लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
रजिस्टेंस फोर्स के प्रवक्ता की गोलीबारी में मौत
अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत में तालिबान विरोधी गुट यानी रजिस्टेंस फोर्स के प्रवक्ता की रविवार को भीषण गोलीबारी के दौरान मौत हो गई। एक दिन पहले ही तालिबान विरोधी इस गुट के मुख्य प्रवक्ता फहीम दश्ती ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा था कि अगर हम मर गए तो इतिहास हमारे जैसे उन लोगों के बारे में लिखेगा, जो आखिरी दम तक अपने देश के लिए खड़े रहे। फोर्स के मुताबिक, दश्ती की रविवार को फायरिंग के दौरान मौत हो गई।
दश्ती ने तालिबान के साथ सरकार में शामिल होने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि तालिबान के साथ सत्ता में शामिल होने की बजाय उनकी फौज युद्धग्रस्त देश के अच्छे भविष्य के लिए मरना पसंद करेगी। दश्ती ने पिछले हफ्ते एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा था कि अगर हम अफगानिस्तान के लोगों के भविष्य को बेहतर बनाने के अपने मकसद में कामयाब रहे, ऐसा मुल्क, ऐसा सिस्टम जहां अफगान नागरिकों के प्रति जिम्मेदार लोगों की सरकार हो, तो हम अपनी जिम्मेदारियों पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे।
वहीं अफगान विरोधी गुटों ने धार्मिक विद्वानों द्वारा सुलह समझौते के लिए वार्ता के प्रस्ताव का स्वागत किया है। रजिस्टेंस फोर्स के नेता अहमद मसूद के फेसबुक पेज पर यह ऐलान किया है। यह पेशकश ऐसे वक्त की गई है, जब ऐसी खबरें हैं कि पंजशीर के समीपवर्ती जिलों पर कब्जे के बाद तालिबान लड़ाके प्रांत की राजधानी के बेहद करीब तक पहुंच गए हैं। तालिबान ने पंजशीर प्रांत को छोड़कर काबुल समेत अन्य इलाकों में 15 अगस्त 2001 तक कब्जा जमा लिया था। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे। बता दें कि एक दिन पहले, अफगानिस्तान के उत्तरपूर्वी प्रांत पंजशीर में विद्रोही गुट के नेता अहमद मसूद ने कहा था कि तालिबान के पंजशीर छोड़ने पर रेजिस्टेंस फोर्स लड़ाई बंद करने और बातचीत शुरू करने के लिए तैयार है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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