करो ये उपाय और लड़की पटाओ, क्या कभी किसी ने किया इसका विरोध
क्रीम लगाओ लड़की पटाओ
पाउडर लगाओ लड़की पटाओ
डीयोडरंट लगाओ लड़की पटाओ
फैयर एंड हैंडसम लगाओ लड़की पटाओ
कोक, पेप्सी पियो लड़की पटाओ
दिमाग की बत्ती जलाओ लड़की पटाओ
मंजन करो और ताज़ा साँसों से लड़की पटाओ
एंटी डेनड्रफ शैम्पू लगाओ लड़की पटाओ
कोई भी चिप्स खाओ लड़की पटाओ
फोन में फ्री स्कीम का रीचार्ज कराओ और
लड़की पटाओ
हद तो तब हो गयी जब पुरुषों के वस्त्रों से भी लड़की पट रही है। इनके विज्ञापनों में खास बात ये है कि आपको कुछ करना नहीं है। सिर्फ इन चीजों को इस्तेमाल करो। लड़की खुद आपके पास चल कर आयेंगी। आखिर क्या हो गया है हमारे मीडिया और समाज को? क्या जिंदगी का एक ही मकसद है। लड़की पटाओ ?
लगता है भारत में सभी उत्पादों के विज्ञापनों का एक ही उद्देश्य है-लड़की पटवाना। हो सकता है मेरी इस सोच को समाज का प्रबुद्ध वर्ग स्वीकार न कर पाए। या हो सकता है समाज का एक प्रबुद्ध वर्ग मुझे किसी हीन भावना या विकार से ग्रसित सोच वाला समझे, किन्तु माफ करना। मेरे भारत की बहन बेटियाँ इतनी गिरी हुई नही है, जिन्हें तुम इस तरह पटाने के तरीके बता रहे हो। अफसोस कुछ कूल ड्यूड सो कॉल्ड मॉडर्न किस्म के लोग इन घटिया दर्जे के विज्ञापनों झांसे में आ जाते है और औरत को इतना नीचा समझते है | क्या हमारे देश में माँ बहने उपयोग उपभोग और वासना का साधन संसाधन मात्र हैं? आप स्वयं विचार करिए।
लेखक का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रुचि है। मोबाइल नंबर-75258 88880
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।