तुम आत्महत्या करोगे संकट गहरा रहा है दुराकाश में हिंसक पक्षियों का दल आ रहा है क्षितिज पर षड्यंत्र का...
सुरेंद्र प्रजापति
स्मृतियाँ स्मृतियों के पटल पर उग आए हैं, वर्तमान की चहकती इच्छाओं के गाछ अंकित हो गए हैं स्वप्निल इबारतें...
साहित्य और सत्ता साहित्य का सत्य और निश्छल शब्द सता के गलियारे में, जब दस्तक देता है, न... सिंहासन के...