तिरंगा तिरंगा देश की शान है तू , तिरंगा देश का मान भी तू। ये देश अखण्ड रहे हमारा, तिरंगा...
शिक्षिका डॉ. पुष्पा खंडूरी की कविता-मेरा बुढ़ापा
बीति ताहि बिसार दे बैचेन मन सोचता बहुत है तर्क बितर्क के जंजाल में वो फंसता सा चला जाता है...
मन पतवार बना लेती तुम होते जो सचमुच रुठे मैं तुम्हें मनाने आ जाती, नैया को मझधार छोड़ती मन पतवार...
मेरा बुढ़ापा एक रोज जैसे ही हुई मेरे द्वार पै इक आहट निकली मैं जैसे ही बाहर दिल में बड़ी...