सोया नसीब यूं कि जगाया न जा सका। फिर भी खुदा से अपना भरोसा न जा सका।। दिन-रात मांगते रहे...
शायर एवं पत्रकार
कब तक खुद को समझाएंगे। ऐसे तो हम मर जाएंगे।। झूठे ख्वाबों से यारो हम। यूं कब तक मन बहलाएंगे।।...
दिल का पुर्जा पुर्जा पढ़ना। सहरा को अब दरिया पढ़ना।। दुनिया का जब नक्शा पढ़ना। अपना-अपना किस्सा पढ़ना।। खा सकता...