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February 8, 2025

Sahitya

ल्याखा-पाढ़ा सुड़ीं-जड़ीं छ्वीं-बतौंम, द्वी-चार ह्वे जांद. गुणीं-लिखीं कितब्यूंम, नै बिचार ह्वे जांद.. धरोहर च हमरी, यीं बिट्वाऴा-समाऴा, नै- पुरणि कितब्यूं...

पुरखौं धरौंण यो पाऽण हम थैं, खुज्यांणा छीं. अफ वख-हम यख, रुलांणा छीं.. बोलि नी पांदा, कबि भी गिचन, ज्यू...

रगड़ा-झगड़ा सोचु भिंडि च-हमन, जीवन म अपड़ा भी. क्य ब्वन-दगड़म चल़णा छिं, सौ रगड़ा भी.. मनखी सोच्यूं-अर गड़्यूं, कख तक...

किसान खड़ा है, सड़कों पर ! मिलजुल कर सब काम करो, व्यर्थ ना बकवास करो !किसान खड़ा सड़कों पर है,...

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