नया साल नया साल नई आशाएं नया पैग़ाम.. उम्मीद-ए लुत्फ़ लेकर आए। सैलाब-ए हवादिस कम नही हुए.. साल-ए शुरुआत से...
Preeti Chauhan
एक दायरे तक हो खुल कर हँसना खुल कर रोना जो भी हो बस, एक दायरे तक हो। बदसुलूकी अंत...
जरूरी है क्या? हर लड़का फिल्मों में दिखाए गए अमीर बाप की बिगड़ी औलाद नही होता। कुछ लड़के घर की...
लोगों को सिर्फ क्यों दिखती है शहर की चहल पहल, शानों-शौक़त क्यों किसी को नही दिखती वो कूड़ा बिनती लाचार...
एक अजब-सी उलझन में उलझी पड़ी हैं ज़िन्दगी न जाने की किस मंज़िल की तरफ भागे जा रहें न जाने...
मैं एक नारी हूँ अपने हालतों पर भारी हूँ जलायी गई हूँ कई बार आग में फिर भी न हुई...
क्या लिखूं इन हालातों पर.... इन बदलते ख्यालातों पर.. सोचा क्या कभी ? क्यों ये हालात इतने बदलने से लग...
थोड़े से गम हैं हिस्से में अगर, खुशियां भी आएंगी कभी थोड़े गहरे से जख्म है मगर ये लाइलाज़ तो...
कुछ बाते हैं जज्बातो की चलो आज कहती हूँ एक किरदार जो खास हम सबके लिए चलो आज उसके बारे...
नया साल.....चलो स्वागत करते हैं..... जिन्दगी का एक और वर्ष कम हो चला, कुछ पुरानी यादें पीछे छोड़ चला .....