शब्द ढूंढती रही क्या कहूं, कैसे कहूं मैं सदा यूं सोचती रही दिल में हजारों जख्म थे मरहम तुमसे मिले,...
poetess
बीति ताहि बिसार दे बैचेन मन सोचता बहुत है तर्क बितर्क के जंजाल में वो फंसता सा चला जाता है...
माता सरस्वती तू दैणी ह्वै जैई आशीष अपणु मीथै भी दे देई माता सरस्वती तू दैणी ह्वै जैई ज्ञानकु भंडार...
"तुम फिकर मत करना तुम्हारी साल भर की फीस मैं दूंगी। और ड्रैस भी। किताबे और भी जरुरतों के सभी...