बहुत है…… खुल के मुस्कराने का जी चाहता है……पर गमो का कारवा भी तो बहुत है…….. उडना चाहती हूँ खुले...
Literature
सदनि बटि इनीं हमरि रै नौं धरैं , सदनि बटि इनीं.तुमरि रै बीट तरै , सदनि बटि इनीं.. लोगौं धान...
एक----बच्चे नेआंसुओं मे डूबी नाव सी आंखों से मां को देखाबच्चे को बहता दिखा अफनि चेहरा दोनो एक दूसरे कोकिनारे...
" कुटमदरि " रऴि - मिऴि , रावा त,नांगि-कांगि , बंटे जयंद.दगड़म हो , सयंणु दिल-बोल्यूं बि , सये जयंद.....
शरद का पूनमऋतुओं में शरद ऋतु की बात कुछ निराली है।इस ऋतु में फैली रहती चहुँ ओर हरियाली है।फल फूलों...
जो किसी निर्दोष को दुख देता है, उसे कभी सुख की प्राप्ति नहीं होती । भगवान उसका सुख धीरे-धीरे छीन...
" एक दिल हूंद " दिल सब्यूं , भितर हूंद.दिली त हूंद , जो रूंद.दिल जड़द- पच्छ्यड़द-भितनैं रूंद , भैनैं...
भात कोई आम अन्न नहीं है बल.. दिनभर में कितने पकवान खा लो भात नही खाया तो छपछपी नही पड़ती...
नफरतों के बयान रहने दो।कुछ तो अम्नो-अमान रहने दो।। कल सियासत के काम आएंगे।ये सुलगते मकान रहने दो।। है वतन...
लगे भवानी लाडली ,गिरिनंदिनी राजकिशोरी ।मै तो तुझे मनाऊं माता ,सुन लो विनती मोरी ।। अहो सलोना रूप तेरा मां...