रगड़ा-झगड़ा सोचु भिंडि च-हमन, जीवन म अपड़ा भी. क्य ब्वन-दगड़म चल़णा छिं, सौ रगड़ा भी.. मनखी सोच्यूं-अर गड़्यूं, कख तक...
रगड़ा-झगड़ा सोचु भिंडि च-हमन, जीवन म अपड़ा भी. क्य ब्वन-दगड़म चल़णा छिं, सौ रगड़ा भी.. मनखी सोच्यूं-अर गड़्यूं, कख तक...
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