कबि-कबि कबि-कबि एक-हैंका धोऽर, आंद-जांद रावा. अपड़ि खैरी-खुशि-बिपत, सब्यूं सुणांद रावा.. ज्यू हळ्कु ह्वे जांद, सूणीं-सुणैकी क्वी बात, कबि अपणौं,...
Garhwali Ghazal
भोऴा आस मोरदु - क्य नि करदू, बग्त सब दिखैग्या आज. कन्खे रैंण-कन्खे सैंण, बग्त सब सिखैग्या आज.. बेसुध छौ...
कोरोना से उपजी परिस्थितियों को लेकर इस गजल-बगत कनु यु सगत आई, की रचना उत्तराखंड के मदन ढुकलान ने की।...
बचपना दिन छोटमा दिन बि, कन- दिन छा. अकल-सकल, का ही- बिन छा.. लाड- प्यार भी, करदा छा पर- उटकरमौं...
सात फेरा शादि- ब्योम , पौंणा खुज्यांणा हुयां छीं. चलि ल्यावा शादिम, मनांणा हुयां छीं.. ठकठ्याट रैंदु छौ, ब्यो- काज...
ब्यो-काज आज ब्यो- काज निभाणू , कठिण हुयूं च. एक - हैंका थैं - समझांणु , कठिण हुयूं च.. क्वी...
ब्यो-काजा लग्न गुम- सुम हुयूं सरग, न बरखणूं- अखरणूं च, चौदिसौं बुजिना लग्यां, न सरकणूं-फरकणूं च.. दिनम चुड़ापटी घाम, ब्यखुनिदां...
मिं गौड़ि छूं आज मेरी-कनि कुगति, मेरा गढवाऴ म हूंणीं च. कै मुखन मींकु-माँ ब्वद्वा, मेरि जिकुड़ी रूणीं च.. जब...
लेखणु-पढ़णु लेखि- पैड़िक - मनखि, उतीरण-ह्वे जांद. सीखि-सीखी, काम-काजा परवीण-ह्वे जांद.. पढ़णा-लेखड़ा कि बल, क्वी उमर नि हूंदि. पुस्तैनी हुनर...
आदत सब मेरू-लेख्यूं पढी, मीं नि पैढ़ू-कैकु भी. ईत रैगे-हमरि सोच, दोष नी ये - वेकु भी.. लेखण- पढ़णा ज्यू...