जगह-जगह है वतन की खुशबू। महक रही है हवन की खुशबू।। जरा सी चूमें जो लब वो हमने। बदन में...
Dard Garhwali
सोया नसीब यूं कि जगाया न जा सका। फिर भी खुदा से अपना भरोसा न जा सका।। दिन-रात मांगते रहे...
किस कदर मैला हुआ है।ये बदन पहना हुआ है।। गूंजती इसमें अजानें।दिल मेरा मक्का हुआ है।। क्या कहें किससे कहें...
रोटियां दे भाषणों से पेट कब किसका भरा।बाज आ जा हरकतों से देखता होगा खुदा।। आदमी दुश्मन बना है आदमी...