'अनुप्रास अलंकार' में : 'म' से 'माँ' माँ मैं मुख मन्थन मधु! मधुर मंगल मृदुल माँ! महान महन्त मातृत्व महिमा!...
BHU
चिहुँकती चिट्ठी बर्फ का कोहरिया साड़ी ठंड का देह ढंक लहरा रही है लहरों-सी स्मृतियों के डार पर हिमालय की...
उम्मीद की उपज उठो वत्स! भोर से ही जिंदगी का बोझ ढोना किसान होने की पहली शर्त है धान उगा...
मुसहरिन माँ धूप में सूप से धूल फटकारती मुसहरिन माँ को देखते महसूस किया है भूख की भयानक पीड़ा और...
माँ को मूर्खता का पाठ पढ़ता बचपन जन मूर्ख-दिवस पर रो रहा है मेरा मन माँ को मूर्खता का पाठ...