मैं अविनाशी काशी वासी महाकाल प्रलयंकर हूँ हाँ मैं शंकर हूँ हाँ मैं शंकर हूँ मरघट वासी मैं कैलासी मणिकर्णिकाघाट...
Ashish Upadhyay
हाल ही में शारदीय नवरात्र मनाए गए। इन दिनों यथा शक्ति माँ का पूजन किया होगा। कन्या भी खिलाई भी...
जीवन में ये प्रथम अवसर है जब विजय दशमी के सुअवसर पर मेरे मन और मस्तिष्क के बीच एक द्वंद...
गले से लगा लो मेरी उलझनें सुलझ जायें ग़र तुम गले से लगा लो। ग़मों के बादल छट जायें ग़र...
ए-वक़्त ख़ुद पर इतना ग़ुरूर न कर तू वक़्त ही तो है, वक़्त तू भी वक़्त एक वक़्त पर बदल...
संघर्ष ये जो चमक रहा है हमारे नाम का सितारा, कभी हम भी थे बिखरी हुई धूल से। मेरे जानने...
सूरज को कहूँ चन्दा तो ये ही बात सही है।तुम उसको गलत कहोगे हमनें जो बात कही है।1। तुम्हारी इतनी...
हम भी किसान रहे हैं। सर पर कर्ज़ पीठ पर कोड़ों के निशान रहे हैं।वो उतने पूजे गए जो जितने...