माँ के प्रति ढाई बर्ष से कौमा में है माँ माँ तुम्हारें बिना सारी खुशियां। बेमानी सी लगती हैं ॥...
शिक्षिका डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता- औकात
फ्रेडरिक नीत्शे ने घोषणा की ईश्वर कोई नहीं है, और ईश्वर की मृत्यु हो गई। देश राष्ट्र समाज को अब...
श्रीराम प्राकट्य चैत्र मास नवमी तिथि रघुवंश में, हरि देने को शुभाशीष। दशरथ गृह प्रकटे स्वयं प्रभु श्री राम जगदीश॥...
आओ आओ सुनो प्रिय अपना नव वर्ष का, हर्षोत्सव कुछ यूं मनाएं विक्रम संवत्- 2080 चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, शक्ति...
कान्हा की बांसुरी ओ कान्हा फिर से सुना दे बांसुरी। जो वंशी तूने वंशीवट में बजाई। जो वंशी तूने यमुना...
वक्त का दरिया वक्त का दरिया बहता रहता, बहते दौर का हर इक लम्हा। केवल यादें बन कर, ठहरा सा,...
रे मन मूरख काहे भरमाए तू। हरि चरनन् चित्त, काहे न लाए तू॥ भव सागर गहरा अति दुस्तर। सौंप प्रभु...
मेरा बचपन वो वो बचपन की मटरगश्ती, बारिश का था वो पानी कागज की थी वो कश्ती वो नाला था,...
धन के रिश्ते रिश्ते नाते दूर -दूर हुए सब। धन के रिश्ते आम हो गए॥ पूजा पाठ नित नेम आचरण।...
पहचान हाँ मेरी खुद से, मेरी पहचान सचमुच मैं जानता नहीं कहाँ खो गई है। मैं सचमुच, ना जाने क्यों...