जो नारी का सम्मान न करे वो नर, नारी विहीन रहे न कोई कहे पति उसे न कोई पुत्र कहे...
शिक्षिका उषा सागर की कविता
देखा मैंने आज एक बूढ़ी मां को, सिर पर लकड़ियों का गट्ठर लिए हुए। भरी दोपहर में पसीने से तर-बतर,...
करवाचौथ चंद्र दर्शन चन्दा तू काहे न दर्शन देवे काहे तू मेरी परीक्षा लेवे चन्दा तू काहे न दर्शन देवे...
संग जिसके बंधे थे विवाह के बंधन में छोड़ गए चन्द दिवस बाद उसे रोते बिलखते क्रन्दन में।। सजा जिसका...
ए वक्त भी गुजर जाएगा हौसला रख ए मेरे दोस्त ए वक्त भी गुजर जाएगा आएंगे खुशियों के दिन जब...
कर प्रयास शिखर तक पहुंचना है गर तुझे कर प्रयास, कर प्रयास, कर प्रयास न कर तू कभी भी यूं...
हम और बुढ़ापा इक दिन बुढ़ापे में जब कमर झुक जाएंगी जवानी की हर बात तब हमें याद आएंगी लिया...
वसन्त ऋतु सज-धज कर जिसमें धरती दुल्हन सी बन जाती है सब ऋतुओं में यही ऋतु तो वसन्त ऋतु कहलाती...
बरखा (वर्षा) आई तुम तो फैली चारों ओर हरियाली पड़ी बौछार पहली तो जन जीवन में भरी खुशहाली आते ही...
बैठे हैं हम सब, विद्यालय के दालान में न खेल रहा कोई भी, बालक प्रांगण में सूना पड़ा विद्यालय अपना,...