एक दायरे तक हो खुल कर हँसना खुल कर रोना जो भी हो बस, एक दायरे तक हो। बदसुलूकी अंत...
युवा कवयित्री
जरूरी है क्या? हर लड़का फिल्मों में दिखाए गए अमीर बाप की बिगड़ी औलाद नही होता। कुछ लड़के घर की...
लोगों को सिर्फ क्यों दिखती है शहर की चहल पहल, शानों-शौक़त क्यों किसी को नही दिखती वो कूड़ा बिनती लाचार...
आज के हालात.. मक़्कारी आती नहीं हमें रास बड़े बड़े मिले मुझे सलाहकार और उनके हर कदम हैं मेरे खिलाफ...
एक अजब-सी उलझन में उलझी पड़ी हैं ज़िन्दगी न जाने की किस मंज़िल की तरफ भागे जा रहें न जाने...
लोकतंत्र है यह कैसा? जहां चले बस तानाशाही और पैसा, मांगते जो चुनाव में वोट… छापते फिर उसपर नोट। लोकमत...
मैं एक नारी हूँ अपने हालतों पर भारी हूँ जलायी गई हूँ कई बार आग में फिर भी न हुई...
बेमौसम बारिश और गरीब किसान बेचैन वो नहीं उस शख्स की जिम्मेदारी है कभी बारिश के लिए तड़पता रहा तो...
क्या लिखूं इन हालातों पर.... इन बदलते ख्यालातों पर.. सोचा क्या कभी ? क्यों ये हालात इतने बदलने से लग...
हे ! बद्रीश प्रभु कृपा करो हे देव-मनुजों के पति लक्ष्मीपति, बद्रीवन के विशाल श्रीबद्रीश जी , सृष्टि पालनहार पीताम्बरधरा...
