मगर आईना मेरा आजकल खामोश है! मुसाफिर का हमराही सफ़र का हमसफ़र है, वो यूँ ही वो अनजाना सा बेमेल...
युवा कवयित्री अंजली चन्द की कविता-ना निकलेंगी कभी रात में बाहर
बिन कहे वो इतना कुछ कह गया, निशब्द सा मुझे कर गया! उसका मोन हो जाना ना जाने, मुझको तोड़...
लोग कहते हैं मुस्कुराहट में बात कुछ अलग है, ये भी कहते सुना है आँखों में सुकून कुछ अलग है,,...
उलझनें खामोश हैं या खामोशी में उलझनें हैं, इन्हीं उलझनों में ऐ खुदा हम उलझ से गये.. कभी कभी संयम...
एक दिन पूछ बैठे खुद से सवाल तो ज़वाब मे ख्याल उसका आ गया, कोशिश की साझा कर लूं उलझनों...
चलो आज एक छोटा सा कदम उठाते हैं, अपने अपने हिस्से का एक दूसरे के लिए बराबरी की झलक दिखलाते...
दर्द अब दुबारा सहा जाएगा नहीं कभी कुछ बात याद आ जाये, या कोई लम्हा याद दिला जाये तो, मुझे...
वो हंसते मुस्कुराते सुलझी हुई सी चेहरे की चमक कहां चली गई, चेहरा उदास लिये उलझनों से अपनी उलझे से...
ना निकलेंगी कभी रात में बाहर, दो प्रमाण दिन के उजाले में सुरक्षित हैं स्त्री, जागरूकता और सम्मान ही स्त्री...