जोंक रोपनी जब करते हैं कर्षित किसान, तब रक्त चूसते हैं जोंक! चूहे फसल नहीं चरते फसल चरते हैं साँड...
गोलेन्द्र पटेल
गूँज उठी रणभेरी काशी कब से खड़ी पुकार रही पत्रकार निज कर में कलम पकड़ो गंगा की आवाज़ हुई स्वच्छ...
माँ को मूर्खता का पाठ पढ़ता बचपन जन मूर्ख-दिवस पर रो रहा है मेरा मन माँ को मूर्खता का पाठ...