बादल बादल मनमानी पर उतरे। वर्षों हो गए , ये न सुधरे। दिन सुहावने सावन के वे हो गए अब...
कविता
आज़कल झूठ ने रफ़्तार पकड़ी हो रहा है मन विकल। घुटनों के बल ही रेंगता सच देख लो अब आजकल।।...
नदियां नदियां चलकर घर तक आईं। घर भी डरकर कांपे थर - थर। माटी के घर हैं जो जर्जर। आफ़त...
इन दिनों किताबों को छपवाने की बजाय इंटरनेट के माध्यम से रचनाओं को पाठकों के बीच पहुंचने का तरीका लेखकों...
बढ़ आगे चल... चल उठ, चल उठ, चल उठ बढ़ आगे चल-4 मैं बात पते की करने का गफलत में...
जीवन सुमन जीवन सुंदर फूलों जैसा गुणों की इसमें सुगंध होती है। मन को अपने निर्मल रखना अच्छे लोगों से...
सत्यं शिवं सुन्दरं अक्सर शिव जीता है हम सबके भीतर तब जब हम जिन्दगी के कष्टों को घूंट घूंट कर...
त्यारो रूप च माता निराळा त्यारा गळा मा मोत्यों की माळा कमल आसन मा त्यारो डेरा रैंदू हथ्यों मा माळा...
नदियाँ ये मीठी मीठी सागर ये गहरे गहरे मन को मेरे लुभाते आँखों में ठहरे ठहरे पूछते हैं मुझसे नित...
मयाली पहाड़ियों के बीच में खिला बाजार फूल सा सुंदर सजीला सज रहा सजीव हो महबूब सा। सुहावनी समीर है...