आक्रामकता में भी लिये शालीनता शब्दों के प्रहारों में भी अजब संयम असाधारण शैली के जन्मदाता मेरे आदर्शों में आदर्श...
कविता
सर्दी डर रही है हर गली चौराहे पर, चाय की थडियों पर, विद्यालयों के प्रांगण में, मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों में,...
इस चमकीली दुनिया से अच्छा तो बिस्तर पर मरने से अच्छा, तो सरहद पर ही मरना था, पर भाग्य में...
यह साल जा रहा है आने वालों के लिए जगह छोड़ता हुआ वह है ही हजारो साल जैसा वक्त की...
सिर्फ कहने मात्र की आजादी है आज भी एक स्त्री को। उसे आज भी उन्हीं बेड़ियों में बांधकर मजबूर बनाया...
संघर्ष ये जो चमक रहा है हमारे नाम का सितारा, कभी हम भी थे बिखरी हुई धूल से। मेरे जानने...
पर्यावरण की रक्षा खातिर ऐ तथाकथित विकासवादियों ! मां का सीना मत चीरो। भोग बिलास लिप्सा खातिर ,जख्म धरा पर...
अपना आईना जिंदगी से लम्हा चुरा बटुए में रखता रहा ! फुर्सत से खरचूंगा बस यही सोचता रहा। उधड़ती रही...
चाहरदीवारी….घर तो बनाना, पर चाहरदीवारी ना बनानामंजिलें बढ़ा लेना,पर ये बीमारी ना बनानाखुले रहने देना, घर के आंगनों को..बच्चों के...
कोरोना के पोस्टर लिखकर ! मैं अंग्रेजी का था मास्टर, हिंदी भी अच्छी सीख गया !कोरोना के पोस्टर लिख कर,लेखन...