झूठ है आदमी पनौती है। नाकामी का ठीकरा औरों पर मत फोड़िए। दिलों का बढ़े फ़ासला आज ज़िक्र वो छोड़िए।...
कवि
मेघों की खिड़कियों से सूरज ताका-झांकी करता । धूप की फरिया लगे फटी सी। जाड़े से वह लुटी लुटी सी।...
आश्वासन आश्वासन ही आश्वासन हैं। आश्वासन के ही शासन हैं। आदमी जो भी अधमरा है। खाकर हवा वो भुख़मरा है।...
मरे हुए शहर में आ गए हम। दिखें हमें सुबह से मरे आदमी। आदमियों से सभी डरे आदमी। सुबह से...
धन दौलत आप की है के बाप की है... आप की है के बाप की है... लुटा रहे जो धन...
युद्ध अंधियारों से अब लड़ा न जाए। सूरज भी अब थका हुआ सा लगता। भुनसारे से कोहरा रोज़ डसता। युद्ध...
कोई दीया जलाया जाए बहुत अंधेरा है बंधु! कोई दीया जलाया जाए। रोशनी का पर्व है, रोशनी को घर बुलाया...
फिर वसंत होगा तानाशाही का भी अंत होगा। पतझड़ के बाद वसंत होगा। ज़ालिम कितने भी कहर बरपा ले देखना,...
बादलों की ओट से झांक रहा चांद। शरमाकर धरा निहार रही हौले से। स्वप्न बाहर आए नींद के डोले से।...
लाचार च त्यारू गौं भुलाओ उत्तराखण्ड का, धारा-पन्यारा बिसिकि गीं। धुर्पली का पाथर रैडिकि, ज़मीन म खिसिकि गीं। ल्यो देखो...