अब स्वामी यतींद्रानंद गिरी को सताया भाजपा की हार का डर, जेपी नड्डा को लिखा पत्र, इनको ठहराया जिम्मेदार, देखें पत्र
इस बार के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड भाजपा के लिए सबकुछ ठीक होता नजर नहीं आ रहा है। बीजेपी के नेताओं को ही हार का डर सता रहा है। मतदान के बाद जहां नेता आराम फरमाने लगते हैं और मतगणना का इंतजार करते हैं, वहीं बीजेपी के नेता भितरघात की आशंकाओं में घिरे हैं। पार्टी में ही एक दूसरे पर आरोप लगाने में वे व्यस्त हैं। अक्सर देखा जाता है कि मतगणना के शुरुआती चरण में भी यदि कोई दल पिछड़ता है तो उसके नेता यही कहते हैं कि अभी उम्मीद बरकरार है। जीत हमारी ही होगी, लेकिन यहां बीजेपी में सबकुछ उलट हो रहा है। मतगणना से पहले ही आरोप प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है। इससे उत्तराखंड में बीजेपी की फजीहत हो रही है। इस फजीहत में एक नाम और जुड़ गया है। यह नाम है स्वामी यतींद्रानंद गिरी का। भाजपा से वर्ष 2009 में हरिद्वार सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने भी अब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर पार्टी के जिम्मेदार लोगों पर ही आरोप लगा दिए।इन नेताओं ने भी लगाए थे आरोप
चुनावों के बाद बीजेपी के प्रत्याशियों के तीखे तेवर सामने आने लगे हैं। मतदान के बाद ही लक्सर से विधायक संजय गुप्ता ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर तीखा हमला बोला। साथ ही उन्हें पार्टी से निकालने की बात तक कह दी है। उसके बाद एक-एक करके बीजेपी के अंदर प्रत्याशियों के तीखे तेवर नजर आने लगे हैं। काशीपुर से हरभजन सिंह चीमा ने भी भितरघात करने का आरोप लगाया तो वहीं चम्पावत से कैलाश गहतोड़ी ने भी खुलकर कार्यकर्ताओं पर भितरघात करने का आरोप लगाया है।
पत्र में लिखी ये बात
महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में कहा कि इस बार चुनाव में कुप्रबंधन की वजह से कुछ जगह परिणाम आशा के विपरीत भी आ सकते हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखे पत्र में महामंडेलश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में प्रदेश स्तर पर कोई जिम्मेदार एवं गंभीर व्यक्ति नहीं था, जो चुनाव प्रबंधन की रूपरेखा ठीक से बना सके।
उन्होंने लिखा है कि प्रदेश संगठन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी जिन व्यक्तियों को दी गई, वह स्वयं चुनाव लड़ने और संगठन के अन्य व्यक्तियों को चुनाव हरवाने में स्पष्ट रूप से सक्रिय दिखे। कई विधानसभा में भाजपा के ही नेता असंतुष्ट होकर चुनाव मैदान में उतर आए या उतारे गए। स्थानीय एवं प्रदेश स्तर से कोई ठीक से वार्ता कर समझाकर बैठाने के प्रयास ही नहीं किए गए, जबकि यह संभव था। औपचारिकताएं जरूर पूरी की गई।
उन्होंने पत्र में कहा कि 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भी वर्तमान में शीर्ष नेतृत्व पर मौजूद व्यक्ति ने हरवाने का काम किया। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकत्र्ताओं की भावना को समझते हुए उचित कार्रवाई की जाए। उन्होंने पत्र की प्रतिलिपि गृह मंत्री अमित शाह एवं राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को भी भेजी है।




