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April 19, 2025

नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, बताया वैधानिक, खारिज की 58 याचिकाएं

केंद्र के नवंबर 2016 के 1000 रुपये और 500 रुपये के करेंसी नोटों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को रद्द कर सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को वैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि इसकी प्रक्रिया में कोई त्रुटि नहीं थी। सरकार के इस कदम ने रातों-रात 10 लाख करोड़ रुपये सर्कुलेशन से वापस ले लिए थे। न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। इस मामले में संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया।  इस फैसले से सिर्फ जस्टिस बी वी नागरत्ना ने असहमति जताई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को नोटबंदी की प्रक्रिया नहीं करनी चाहिए थी। आनुपातिकता के सिद्धांत द्वारा कार्रवाई को प्रभावित नहीं किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके साथ ही कोर्ट ने सभी 58 याचिकाओं को खारिज भी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस फैसले को उलटा नहीं जा सकता। नोटबंदी के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड की जांच के बाद हमने पाया है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया केवल इसलिए त्रुटिपूर्ण नहीं हो सकती है, क्योंकि यह केंद्र सरकार से निकली है और हमने माना है कि टर्म सिफ़ारिश को वैधानिक योजना से समझा जाना चाहिए। रिकॉर्ड से ऐसा प्रतीत होता है कि 6 महीने की अंतिम अवधि के भीतर RBI और केंद्र के बीच परामर्श हुआ था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

8 नवंबर 2016 को पीएम मोदी ने नोटबंदी की थी घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देश के नाम संदेश में रात 12 से 500 और 1000 रुपए के नोट बंद करने का ऐलान किया था। उस समय सरकार को उम्मीद थी कि नोटबंदी से कम से कम 3-4 लाख करोड़ रुपये का काला धन बाहर आ जाएगा। हालांकि, पूरी कवायद में 1.3 लाख करोड़ रुपए का काला धन ही सामने आया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दी गई थी दलील, करेंसी रद्द करने का अधिकार नहीं
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की दलील है कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26 (2) किसी विशेष मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों को पूरी तरह से रद्द करने के लिए सरकार को अधिकृत नहीं करती है। धारा 26 (2) केंद्र को एक खास सीरीज के करेंसी नोटों को रद्द करने का अधिकार देती है, न कि संपूर्ण करेंसी नोटों को। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

केंद्र ने दिया था तर्क, काले धन​ से निपटने की थी नोटबंदी​​​​​
सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने नोटबंदी के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि यह जाली करंसी, टेरर फंडिंग, काले धन और कर चोरी जैसी समस्याओं से निपटने की प्लानिंग का हिस्सा और असरदार तरीका था। यह इकोनॉमिक पॉलिसीज में बदलाव से जुड़ी सीरीज का सबसे बड़ा कदम था। केंद्र ने यह भी कहा था कि नोटबंदी का फैसला रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की सिफारिश पर ही लिया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कोर्ट में सरकार ने नोटबंदी से हुए फायदे भी गिनाए
केंद्र ने अपने जवाब में यह भी कहा कि नोटबंदी से नकली नोटों में कमी, डिजिटल लेन-देन में बढ़ोत्तरी, बेहिसाब आय का पता लगाने जैसे कई लाभ हुए हैं। अकेले अक्टूबर 2022 में 730 करोड़ का डिजिटल ट्रांजैक्शन ​​​​​​हुआ, यानी एक महीने 12 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन रिकॉर्ड किया गया है। जो 2016 में 1.09 लाख ट्रांजैक्शन, यानी करीब 6,952 करोड़ रुपए था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फैसले के दो दिन बाद रिटायर होंगे संविधान पीठ के अध्यक्ष
मामले की सुनवाई करने वाली पांच जजों की बेंच में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल हैं। संविधान पीठ की अगुआई कर रहे जस्टिस एस अब्दुल नजीर दो दिन बाद 4 जनवरी, 2023 को रिटायर हो जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संविधान पीठ में दो फैसले पढ़े गए। इन्हें जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने लिखा है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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