Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 13, 2024

सुप्रीम कोर्ट का फैसलाः शीर्ष अदालत को किसी भी शादी को सीधे रद्द करने का अधिकार, नहीं करना होगा छह माह का इंतजार

तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार वह अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए “शादी के अपरिवर्तनीय टूटने” के आधार पर विवाह को तुरंत भंग कर सकता है। यानी तलाक के लिए महीनों का इंतजार नहीं करना होगा। बिना फैमिली कोर्ट जाए सुप्रीम कोर्ट ही तलाक दे सकता है। न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस कानूनी पहलू पर भी अपना फैसला सुनाया है कि क्या प्रावधान के तहत शीर्ष अदालत की व्यापक शक्तियों को उन परिदृश्यों में बाधित किया जा सकता है, जहां शादी लगभग टूट गयी होती है, लेकिन एक पक्ष तलाक देना नहीं चाहता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अहम फैसले में कहा है कि शीर्ष अदालत को किसी शादी को सीधे रद्द करार देने का अधिकार है। शादी का जारी रहना असंभव होने की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट अपनी तरफ से तलाक का आदेश दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों के इस्तेमाल को लेकर यह फैसला सुनाया। अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को अधिकार है कि सीधे तलाक का आदेश दे सकता है। ऐसी स्थिति में आपसी सहमति से तलाक के मामलों में 6 महीने इंतज़ार करने की कानूनी बाध्यता भी जरूरी नहीं होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस सवाल को लेकर सुनवाई की थी कि शीर्ष अदालत को को किसी शादी को सीधे रद्द करार देने का अधिकार है या उसे निचली अदालत के फैसले के बाद ही अपील सुननी चाहिए। पिछले दो दशक से अधिक समय से सुप्रीम कोर्ट ने असाधारण रूप से टूटी हुई शादियों को रद्द करने के लिए अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशाल शक्तियों का प्रयोग करता रहा है। हालांकि, सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार करने के लिए सहमत हो गया था कि क्या वह दोनों पार्टनर की सहमति के बिना अलग रह रहे जोड़ों के बीच विवाह को रद्द कर सकता है। 29 सितंबर, 2022 को पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
नोटः यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page