सुप्रीम कोर्ट ने कहा-कांवड़ यात्रा पर पुनर्विचार करे यूपी सरकार, लोगों की जान सर्वोपरी
यूपी में कांवड़ यात्रा पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राज्य को हरिद्वार से गंगाजल शिव मंदिरों में लाने के लिए कांवड़ियों की आवाजाही की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
प्रतीक के तौर पर कांवड़ यात्रा चाहती है यूपी सरकार
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने कहा कि हम केवल प्रतीक के तौर पर कांवड़ यात्रा चाहते हैं। यूपी में सौ फीसदी कांवड़ यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को विचार करने का एक मौका दिया। कोर्ट ने कहा कि हम यूपी को अपने फैसलों पर पुनर्विचार करने का एक और मौका दे रहे हैं। अनुच्छेद-21, जीने का अधिकार हम सभी पर लागू होता है। यूपी यात्रा पूरी तरह रद्द करने पर विचार करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है। अन्य सभी भावनाएं चाहे धार्मिक हों, इस मौलिक अधिकार के अधीन हैं। यूपी सरकार फिर से विचार करे। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
इससे पूर्व गुरुवार को यूपी के वरिष्ठ मंत्री ने कहा था कि आगामी 25 जुलाई को राज्य में शुरू हो रही कांवड़ यात्रा में कोविड-19 प्रोटोकॉल के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का भी सख्ती से पालन किया जाएगा। प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा था कि हर साल निकाली जाने वाली कांवड़ याात्रा के लिए इस वक्त जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करके तैयारियां की जा रही है। इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाएगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के दौरान यूपी सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा निकालने की अनुमति देने की खबर का स्वत: संज्ञान लिया था। इस मामले पर राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र से भी जवाब तलब किया था। यूपी सरकार ने 25 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू कराने की घोषणा की थी। वहीं, उत्तराखंड सरकार इस यात्रा को प्रतिबंधित कर चुकी है। कांवड़ यात्रा के तहत कांवड़िए उत्तराखंड के हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपने क्षेत्र के मंदिरों के लिए पैदल यात्रा करते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।