सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण पर दिल्ली-एनसीआर में एक सप्ताह के लॉकडाउन पर विचार को कहा
दिल्ली-NCR में प्रदूषण के मामले में दिल्ली सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। दिल्ली सरकार ने कहा कि वो पूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने के लिए तैयार है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के लिए भी लॉकडाउन की जरूरत है।
दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि दिल्ली सरकार स्थानीय उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए पूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने को तैयार है। हालाकि, ऐसा कदम सार्थक होगा यदि इसे पड़ोसी राज्यों के एनसीआर क्षेत्रों में भी लागू किया जाए। पड़ोसी राज्यों के एनसीआर क्षेत्रों में लागू होने पर ऐसा कदम सार्थक होगा। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद उठाए गए अन्य कदमों के बारे में शीर्ष न्यायालय को सूचित किया है।
दिल्ली सरकार ने कहा कि 13 नवंबर को आपात बैठक हुई। इस सप्ताह स्कूलों में शारीरिक तौर पर कोई कक्षाएं नहीं होंगी। एक सप्ताह के लिए सरकारी अधिकारी घर से काम करेंगे। निजी कार्यालयों को घर से काम करने की सलाह दी गई है। निर्माण स्थल 3 दिनों के लिए बंद रहेंगे।
याचिकाकर्ता की ओर से विकास सिंह ने कहा कि हमारे कुछ सुझाव हैं। पंजाब में केस रिपोर्ट सही से नहीं हो रहे हैं। पंजाब में चुनाव हैं इसलिए पराली को नहीं रोका जा रहा। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य को रोका नहीं जाना चाहिए। उसको नियंत्रित करने की जरूरत है। एक निष्पक्ष कमेटी जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने इस पर कहा कि हम चुनाव जैसे मामले में नहीं जाएंगे। हमारा राजनीति और चुनाव से कोई लेना देना नहीं है। ये हम पहले भी कह चुके हैं। हम सिर्फ ये देखेंगे कि हालात को कैसे काबू पाया जाए।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अब जब समस्या सामने खड़ी है तो हम नया कुछ नहीं कर सकते। केंद्र ने विस्तार से एक हलफनामा दाखिल किया है। कदम उठाए जा रहे हैं। अब वास्तव में उनको लागू करने की जरूरत है। इस बीच, CJI ने पूछा कि केंद्र की आपातकालीन मीटिंग क्या हुआ ? केंद्र की ओर से तुषार मेहता ने कहा कि मीटिंग देर तक चली तो इसलिए हलफनामे में देर हो गई। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को लेकर कदम उठाए हैं. निर्माण काम बंद कर दिया है और भी फैसले किए हैं। हरियाणा ने भी कदम उठाए हैं। सरकारी कर्मचारी घर से काम करेंगे. तुषार मेहता ने कहा कि आज हालात कल से थोड़ा सा बेहतर हैं। आज वैरी पूअर है।
दिल्ली और आसपास प्रदूषण में पराली का योगदान सिर्फ 10 फीसदी
सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली और आसपास प्रदूषण के पीछे पराली जलाना का योगदान सिर्फ दस फीसदी है। कल की बैठक का परिणाम यह है कि हमने उनसे कहा है कि राज्य सरकारों को GRAP उपायों को लागू करने के लिए तैयार रहना चाहिए। सड़क की धूल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। दिल्ली सरकार के उपायों के कारण बदरपुर पहले से ही बंद है। हमने इसे बंद करने का निर्देश नहीं दिया था। पार्किंग शुल्क बढ़ाया जाए. डीजल जेनरेटर का प्रयोग बंद करें। लैंडफिल में कूड़ा जलाना बंद हो।
जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि CJI ने पिछली बार कहा था कि आपातकालीन हालात हैं। ये सभी लंबी अवधि के प्लान हैं। हालात को तुरंत काबू करने के लिए क्या किया जा रहा है. सड़कों की सफाई के लिए मशीनों का क्या इंतजाम है। क्या राज्य सरकार इन्हें खरीदने में सक्षम हैं? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आपने ट्रक आदि की इंट्री पर रोक चलाने की बात की है। आप दो दिनों के लिए सभी वाहनों के दिल्ली में आने पर रोक लगाने की क्यों नहीं सोचते?
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।