Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 23, 2024

बेंगलुरू के ईदगाह मैदान में गणेशोत्सव पर सुप्रीम कोर्ट की ना, यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश

1 min read

कर्नाटक राज्य में बेंगलुरू के ईदगाह मैदान में गणेशोत्‍सव समारोह नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं। करीब दो घंटे की सुनवाई के बाद तीन जजों का यह फैसला आया। जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने सुनवाई के दौरान कहा-भगवान गणेश से हमें कुछ माफ़ी दिलाइए। ईदगाह मैदान में गणेशोत्सव मनाने के मुद्दे पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की गई। कोर्ट ने कहा कि ईदगाह मैदान में जैसी आज स्थिति है, वही आगे भी बनी रहेगी। वक्फ बोर्ड की ओर से बहस करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि 200 साल से ये संपत्ति हमारे पास है और किसी दूसरे समुदाय ने यहां कभी कोई धार्मिक समारोह नहीं किया। सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमारे हक में फैसला सुना चुका है और पहले कभी किसी ने इसे चुनौती नहीं दी। अब 2022 में कहा जा रहा है कि ये विवादित है। कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें बेंगलुरु के चामराजपेट के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह की अनुमति दी गई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कपिल सिब्बल ने कहा कि 2022 में निगम इसे विवादित बताते हुए इस पर गणेशोत्सव करने पर आमादा है। ये संपदा 1965 में भी दस्तावेजों में वक्फ की मिल्कियत है। सिब्बल ने कहा कि कमिश्नर की रिपोर्ट के आधार पर गणेश उत्सव की इजाजत दी गई, जबकि इस ग्राउंड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी है। कपिल सिब्बल ने कहा कि 1964 में जस्टिस हिदायतुल्ला ने हमारे पक्ष में आदेश दिया था और यह वक्फ अधिनियम के तहत वक्फ संपत्ति है। 1970 में भी हमारे पक्ष में निषेधाज्ञा दी गई थी। वक्फ होने के बाद चुनौती नहीं दी जा सकती। अब वक्फ कि जमीन विवाद में है। 2022 में वो अचानक जागे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जस्टिस अभय एस ओक ने पूछा कि क्या पहले यहां कोई धार्मिक गतिविधि हुई है। इस पर सिब्बल ने कहा कभी नहीं हुई है। जस्टिस सुंदरेश ने पूछा कि इस मामले में आपकी आपत्ति क्या है? जो अनुमति दी गई है वह केवल रमजान और बकरीद त्योहार है। अब हाईकोर्ट का निर्देश है कि कृपया सभी त्योहारों को अनुमति दें या यह आपकी शिकायत है कि इसका इस्तेमाल एक विशेष त्योहार के लिए किया जा रहा है? जस्टिस सुंदरेश ने पूछा कि केवल कल के लिए प्रस्तावित त्योहार के खिलाफ शिकायत है या उसके बाद के लिए भी इस्तेमाल किया जाना है? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुकुल रोहतगी ने कहा कि निगम मालिक नहीं है और यह राज्य सरकार की संपत्ति है। सिब्बल ने कहा कि जब तक यह वक्फ संपत्ति है तब तक आप स्वामित्व का दावा नहीं कर सकते है। क्योंकि वक्फ अधिसूचना को कभी भी किसी भी स्तर पर चुनौती नहीं दी गई। कपिल सिब्बल ने कहा कि दो समुदायों के विवाद पर एफआइआर दर्ज कर दी गईष ये परेशान करने वाला है। इसमें बाबरी से संबंधित कुछ बात कही गई हैं। अदालत को ये सब रोकना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

याचिकाकर्ता की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि राज्य सरकार ने कुछ देर पहले ही खुलासा किया है कि उन्होंने दो दिनों के लिए गणेश चतुर्थी की इजाजत दी है। उन्होंने कहा कि इसे छूने या छेड़छाड़ का अधिकार क्षेत्र किसी के पास नहीं है। कपिल सिब्बल ने कहा कि मेरी गुजारिश है कि इस मामले में ये अदालत हस्तक्षेप करें। यह बहुत अजीब है कि अचानक 2022 में वक्फ संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा किया जाने लगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सुप्रीम कोर्ट ने निगम से पूछा कि पहले कभी निगम ने ऐसे आयोजनों की इजाजत दी है? इसपर मुकुल रोहतगी ने कहा कि पुरानी नजीर विरोध या इंकार का कारण नहीं हो सकती। पहले भी राजनीतिक आयोजन, कर्नाटक राज्य स्थापना दिवस उत्सव और अन्य कई आयोजन यहां होते रहे हैं। सामूहिक प्रार्थना भी होती है और इस पर कोई बहस नहीं है। कोई मालिक नहीं तो ये सब कैसे हो रहे थे? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुकुल रोहतगी ने कहा कि राजस्व अथॉरिटी का आदेश सिंगल बेंच के आदेश का आधार था। 15 साल पहले जब इस तरह का विवाद हुआ था तो सभी पक्ष, उपायुक्त और मंत्री भी मौजूद थे। वे दशहरा, गणेश चतुर्थी, आदि के लिए भूमि का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए सहमत हुए। जस्टिस ओक ने कहा लेकिन यह मुलाकात सिर्फ राजनीतिक दलों के बीच थी। रोहतगी ने जवाब दिया कि पिछले 200 वर्षों से इस भूमि का उपयोग बच्चों के खेल के मैदान के रूप में किया जा रहा है। सभी खुली भूमि जो निजी संपत्ति नहीं है सरकार में निहित है। मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मैदान में कोई चारदीवारी नहीं है, फुटपाथ नहीं हैं और मैदान में बच्चे खेलते हैं। इसलिए ईदगाह स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रोहतगी ने कहा कि सारे मुकदमें निषेधाज्ञा के हैं। किसी में मालिकाना हक का दावा नहीं है। मुसलमानों को सिर्फ यहां इकट्ठा होकर प्रार्थना का हक है। जितनी भी संपत्ति है वो किसी की निजी संपत्ति नहीं है वो सरकार की है। ईद की नमाज होने से स्वामित्व नहीं हो जाता। इससे पहले इस मामले में दो जजों की बैंच में सहमति नहीं बनने पर इसे सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच को सौंपा गया था।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *