गुजरात और उत्तराखंड में यूनिफार्म सिविल कोड परीक्षण कमेटी को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, याचिका वापस
इस सुनवाई के दौरान सीजेआइ (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि उन्होंने अनुच्छेद 162 के तहत कार्यकारी शक्तियों के तहत एक समिति का गठन किया है। इसमें गलत क्या है? संविधान के अनुच्छेद आर्टिकल 162 के तहत राज्यों को कमेटी बनाने का अधिकार है। इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है। या तो आप याचिका वापस लें या हम इसे खारिज कर देंगे। किसी कमेटी के गठन पर ही संविधान के विपरीत कहते हुए याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। इस मामले में याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। यूनिफॉर्म सिविल कोड कमेटी राज्य के सभी लोगों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच करने और मसौदा कानून या मौजूदा कानून में संशोधन की रिपोर्ट तैयार करेगी। समिति में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, पूर्व मुख्य सचिव, पूर्व कुलपति और एक सामाजिक कार्यकर्ता को सदस्य बनाया गया है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।