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March 15, 2025

चुनावों की राजनीति में अपराधीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी और कांग्रेस सहित नौ दलों पर लगाया जुर्माना

राजनीति और चुनावों में अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सख्त रुख अपनाया। बिहार में नौ राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी करार देते हुए जुर्माना लगा दिया।

राजनीति और चुनावों में अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सख्त रुख अपनाया। बिहार में नौ राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी करार देते हुए जुर्माना लगा दिया। बिहार चुनावों में उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास सार्वजनिक करने के आदेश का पालन ना करने पर सुप्रीम कोर्ट ने ये सख्त कदम उठाया है। अदालत ने बीजेपी और कांग्रेस समेत नौ राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी ठहराया है। इस मामले में एनसीपी और सीपीएम पांच-पांच लाख रुपये, जबकि कांग्रेस और बीजेपी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना अदालत ने लगाया है। राजद, जनता दल, लोक जनशक्त‍ि पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और सीपीआइ पर भी एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते के भीतर चुनाव आयोग को जुर्माना जमा कराने को कहा है साथ ही चेतावनी दी कि भविष्य में वो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करें। अन्यथा इसे गंभीरता से लिया जाएगा। वहीं, कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी को चेतावनी देकर छोड़ा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दलों ने कम प्रसार वाले अखबारों में उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास की जानकारी छपवाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ज्यादा प्रसार वाले अखबारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया में इसका प्रचार करें।
रोकने के लिए जारी किए दिशा निर्देश
– राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट के होमपेज पर उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी प्रकाशित करनी होगी और मुखपृष्ठ पर एक कैप्शन हो जिसमें लिखा हो ‘पराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार।
– चुनाव आयोग को एक समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन बनाने का निर्देश, जिसमें उम्मीदवारों द्वारा उनके आपराधिक इतिहास के बारे में प्रकाशित जानकारी शामिल हो।
– चुनाव आयोग सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में एक व्यापक जागरूकता अभियान चलाए।
– यह सोशल मीडिया, वेबसाइटों, टीवी विज्ञापनों, प्राइम टाइम डिबेट, पैम्फलेट आदि सहित विभिन्न प्लेटफार्मों पर किया जाएगा।
– चुनाव आयोग सेल बनाए जो ये निगरानी करे कि राजनीतिक पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया है या नहीं।
– यदि कोई राजनीतिक दल चुनाव आयोग के पास इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो चुनाव आयोग इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देगा।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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