Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 21, 2024

मंगल ग्रह में मिला पानी का इतना विशाल भंडार कि समा जाएंगे कई महासागर

दुनिया भर के वैज्ञानिक ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए निरंतर अध्ययन और खोज में जुटे हैं। इन्हीं खोज के चलते चंद्रमा, मंगल ग्रह के साथ की अंतरिक्ष में कई स्थानों पर उपग्रह भेजे गए हैं। वैज्ञानिक दूसरे ग्रहों में जीवन की संभावनाओं को तलाश रहे हैं। किसी भी ग्रह में जीवन की संभावनाओं के लिए पानी भी जरूरी है। ऐसे में अब वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह को लेकर नई जानकारी मिली है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, मंगल पर कभी नदियां और समुद्र थे। समय के साथ वह खत्म हो गए। अब मंगल ग्रह को लेकर एक नई स्टडी में बड़ा खुलासा हुआ है कि मंगल ग्रह में पानी का भंडार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हाल ही में एक स्टडी में पता चला है कि मंगल की सतह के नीचे तरल पानी का एक विशाल भंडार छिपा हो सकता है। मंगल ग्रह की पथरीली जमीन के नीचे पानी खोजे जाने की बात कही जा रही है। ऐसा नासा के इंसाइट लैंडर का डेटा देखकर बताया गया है, जो साल 2018 में मंगल ग्रह में पहुंचा था। संभवतः इतना पानी कि यह पूरे ग्रह को एक महासागर से ढक ले। बता दें मंगल ग्रह के ध्रुवों पर बर्फ जमी होने की बात और वातावरण में भाप के रूप में पानी होने की बातें पहले भी सामने आई हैं। यह पहली बार है, जब तरल पानी की बात कही जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पानी पीना नहीं आसान
यह खोज नासा के इनसाइट लैंडर के डेटा पर आधारित है। यह स्टडी बताती है कि मंगल पर सूक्ष्मजीवी जीवन के लिए अतीत में या वर्तमान में अनुकूल परिस्थितियां हो सकती हैं। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए इसे पाना आसान नहीं होगा। कहा जा रहा है कि इन्हीं मार्श क्वेक और ग्रह के चलने वगैरह के डेटा को जब परखा गया, तब तरल पानी के साइज्मिक सिग्नल मिले। साइज्मिक सिग्नल माने यही कंपन का एक तरह का पैटर्न है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नासा वैज्ञानिकों को ये है अनुमान
नासा का इनसाइट लैंडर 2018 से 2022 में अपने मिशन के समापन तक धरती पर डेटा भेजता रहा। इसने मंगल ग्रह का भूकंपीय डेटा प्रदान किया, जिससे वैज्ञानिकों को इस संभावित जल भंडार की खोज में मदद मिली है। पानी सतह से लगभग 11-20 किमी नीचे स्थित है। सतह के विपरीत जहां पानी जम जाता है वहां इन गहराइयों पर तापमान पानी को तरल बनाए रखने के लिए पर्याप्त गर्म होता है। अध्ययन में कहा गया है कि मौजूदा मंगल ग्रह पर तापमान मध्य परत के शीर्ष के पास मौजूद तरल पानी के लिए पर्याप्त गर्म है। परत के नीचे छिद्र बंद होने की उम्मीद है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे की गई स्टडी
सैन डिएगो के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के ग्रह वैज्ञानिक वशन राइट ने कहा ‘वर्तमान मंगल पर सतह के नीचे पानी की मौजूदगी का निर्धारण भूकंपीय तरंगों की गति का विश्लेषण करके किया गया था। ये तरंगे चट्टानों की संरचना, दरारों की मौजूदगी और उन्हें भरने वाली चीजों के आधार पर गति बदलती हैं। राइट ने कहा कि अगर इन चट्टानों के बीच की दरारों से सारा पानी निकाल लिया जाए तो 1-2 किलोमीटर गहरा वैश्विक महासागर भर सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शुरुआत में पानी से भरा रहा होगा मंगल ग्रह
प्रोसीडिंग्स ऑफ नेश्नल एकेडमी ऑफ साइंस में छपी ये रिसर्च बताती है कि करीब 300 करोड़ साल पहले मंगल ग्रह की सतह पर पानी होने के सबूत मिलते हैं। माना जाता है कि यह पानी समय के साथ स्पेस में खो गया। तीन अरब साल से भी पहले मंगल ग्रह नदियों, झीलों और संभवतः महासागरों वाला एक गर्म ग्रह था। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक और अध्ययन के सह लेखक माइकल मंगा ने बताया कि पानी पृथ्वी की भूजल प्रक्रियाओं के समान सतह के अंदर जा सकता है। पानी की इस ऐतिहासिक हलचल से पता चलता है कि मंगल ग्रह शुरुआत से ही पानी से भरा रहा होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जल चक्र के संकेत
रिसर्च में कहा जा रहा है कि मंगल ग्रह की मिड-क्रस्ट या मध्य सतह के नीचे पानी होना, इस ग्रह में पानी और जल चक्र के संकेत देता है। दरअसल इंसाइट का मिशन दिसंबर, 2022 में खत्म हो गया था। तब से ये लैंडर मंगल में चुपचाप पड़ा था और मंगल ‘ग्रह की धड़कन’ या भूकंप की तरंगों को रिकार्ड कर रहा था। चार सालों में इसने करीब 13,19 भूकंप रिकार्ड किये। रिसर्च से जुड़े यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर माइकल मांगा बताते हैं कि यह वही तकनीक हैं, जिसके जरिए पृथ्वी के नीचे पानी, तेल या गैस वगैरह के भंडार का अंदाजा लगाया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ऐसे लगाया जाता है अंदाजा
इन्हीं भूकंप की तरंगों की गति वगैरह से वैज्ञानिक अंदाजा लगाते हैं कि यह तरंगे किस पदार्थ से होकर गुजर रही हैं। मसलन वहां ठोस चट्टान है। कोई खाली जगह है। या फिर पानी है। डेटा की जांच से सामने आया है कि यह मंगल ग्रह पर पानी का भंडार करीब 10-20 किलोमीटर नीचे हो सकता है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *