ग्राफिक एरा में छात्र-छात्राओं से हिमालय पर शोध करने का आह्वान, पीएचडी स्कॉलर्स ने सिखे रिसर्च राइटिंग के गुर, शिल्पकार ने सिखाई पेंटिंग
देहरादून में ग्राफिक एरा में आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने छात्र-छात्राओं को हिमालय के संरक्षण एवं संवर्धनके लिए शोध कार्यों से जुड़ने का आह्वान किया। विशेषज्ञों ने हिमालय के पर्यावरण को संरक्षित करने पर विस्तार से चर्चा की। हिमालयन दिवस के उपलक्ष्य में ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में दशा और दिशा विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम में पद्मभूषण व पर्यावरणविद् डा. चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि हिमालय हमारे देश की संस्कृति, प्रकृति और सामाजिकता के पोषक हैं। मनुष्य की गतिविधियों से हिमालयी क्षेत्रों में कई बढ़े बदलाव आ रहे हैं। ये बदलाव न केवल आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर प्रभाव डाल रहे हैं, बल्कि पूरी दुनिया के मौसम में भी परिवर्तन कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पद्मभूषण डा. चण्डी प्रसाद भट्ट ने कहा कि जनसंख्या में विस्तार, अतिक्रमण, जलवायु परिवर्तन आदि से हिमालयी क्षेत्रों में बाढ़, भूस्खलन, भूमि कटाव और जंगलों में आग जैसी समस्याओं में वृद्धि हो रही है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से हिमालयी क्षेत्रों के संरक्षण में अपना योगदान देने का आह्वान किया। डा. भट्ट ने स्लाइड्स के जरिए हिमालयी क्षेत्रों में पहले और अब के बदलावों, विभिन्न ग्लेशियरों, झीलों, बुग्यालों और वास्तुकलाओं पर विस्तार से जानकारी साझा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के वैज्ञानिक डा. पी. एस. नेगी ने छात्र-छात्राओं को हिमालय से जुड़े शोध कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन को बनाए रखने के लिए जरूरी हर सेवा को हिमालय का ईको सिस्टम प्रदान करता है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हिमालय का तापमान करीब 14 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है इसके परिणाम स्वरूप 10 प्रतिशत ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि पांच करोड़ वर्ष पहले बने हिमालय तीन पर्वत श्रंखलाओं से मिलकर बना है। इसमें ग्लेशियर व औषिधिय पौधों वाले ग्रेट हिमालयाज़, पेड़ और कृषि वाले लैसर हिमालयाज़ और नदी व चैड़े पत्तों वाले शिवालिक रेंज शामिल है। उन्होंने स्लाइड्स के जरिए ब्लैक कार्बन की विस्तार से जानकारी साझा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पर्यावरणविद् और स्टेट टैक्स डिपार्टमेंट, उत्तराखंड के असिसटेण्ट कमिशनर मितेश्वर आनन्द ने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए खुद से जिम्मेदारी लेना आवश्यक है। हर मनुष्य का उत्तरदायित्व है कि वह हवा, पानी, पेड़, पहाड़ों व प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की शुरूआत खुद के घर से करे। समाज में इसके प्रति जागरूकता फैलाना भी बहुत आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन प्रियांशी अग्रवाल और मनिका मनवाल ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम को आयोजन डिपार्टमेण्ट ऑफ इन्वायरमेण्टल साइंसेज और डिपार्टमेंट ऑफ कम्प्यूटर साइंस एण्ड इंजीनियरिंग ने किया। कार्यक्रम में कुलपति डा. संजय जसोला, इन्वायरमेण्टल साइंसेज के एचओडी डा. कमल कांत जोशी, कम्प्यूटर साइंस के डा. शिवाशीष ढौंडियाल के साथ डा. अवनीष चैहान, डा. रेखा गोस्वामी और छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएचडी स्कॉलर्स ने सिखे रिसर्च राइटिंग के गुर
देहरादून में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में पीएचडी स्कॉलर्स ने बेहतर रिसर्च पेपर लिखने के गुर सीखे। यह लेक्चर ऐकेडमिक राइटिंग एक्सीलेन्स फॉर इम्पैक्टफुल क्वालिटी रिसर्च विषय पर आयोजित किया गया। ओपी जिन्दल ग्लोबल यूनिवर्सिटी सोनीपत के डा. सचिन कुमार मंगला आज इस लेक्चर को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक अच्छा पीएचडी स्कॉलर वो है, जिसने हमेशा कुछ नया सिखने का जज्बा़ अपने अन्दर बरकरार रखा है। डा. मंगला ने स्लाइड्स के जरिए रिसर्च राइटिंग के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम का आयोजन ग्राफिक एरा के गणित विभाग ने किया। कार्यक्रम में डीन (रिसर्च कोलाबोरेशन) डा. मांगे राम, एचओडी डा. सत्यजीत सिंह, डा. मुकेश कुमार और विभिन्न विभागों के पीएचडी स्कॉलर्स भी मौजूद रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छात्र-छात्राओं ने सीखी डाबू और अजरख पेंटिंग की बारीकियां
देहरादून में ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिल्पकार दीपक तीतनवाला ने छात्र-छात्राओं को डाबू और अजरख प्रिंटिंग की बारीकियों से रूबरू कराया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज ग्राफिक एरा में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के प्रथम दिन शिल्पकार दीपक तीतनवाला सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने छात्र-छात्राओं को प्राकृतिक रंगाई, डाबू और अजरख प्रिंटिंग में उपयोग होने वाले सस्टेनेबल मैटिरीयल जैसे कि गेहूं का पाउडर, गोंद, काली मिट्टी और गाय के गोबर की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने छात्र-छात्राओं को पेस्ट बनाने और ब्लाक का उपयोग करके कपड़े पर पेंटिंग करने का प्रशिक्षण भी दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यशाला का आयोजन डिपार्टमेंट ऑफ फैशन डिजाइन ने किया। कार्यशाला में एचओडी अमृत दास, डा. ज्योति छाबड़ा, चक्षु तोमर, अंशिता अग्रवाल, लैब असिसटेण्ट रजनी नेगी व किरन और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।