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September 30, 2024

12 वीं में गृह विज्ञान की प्रयोगात्मक परीक्षा में छात्राओं ने पकाए उत्तराखंड के पकवान

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उत्तराखंड के पारंपरिक पकवान अब स्कूली शिक्षा में भी नजर आने लगे हैं।

उत्तराखंड के पारंपरिक पकवान अब स्कूली शिक्षा में भी नजर आने लगे हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिल में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज डुंडा मे 12 वीं की गृह विज्ञान की प्रयोगात्मक परीक्षा में उत्तराखंड का पारम्परिक गढ़ भोज को शामिल किया गया। छात्राओं ने इसे तैयार किया।
स्वयंसेवी संस्था जाड़ी संस्थान उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयाग कर रही है। विधानसभा की कैंटीन से लेकर उत्तराखंड पुलिस के मैस तक में पारंपरिक गढ़ भोज पहुंच गया है। अब राबाइंका में गृह विज्ञान की प्रयोगात्मक परीक्षा में सिलाई कटाई एवं बुनाई के साथ पाक शास्त्र में उत्तराखंड के गढ़ भोज के अन्तर्गत विशेष पकवान बनाने के साथ भोजन मे पाये जाने वाले पोषक तत्वों के बारे मे जानकारी प्रस्तुत की गई ।
गृह विज्ञान की प्रवक्ता निशा थपलियाल के मार्ग दर्शन में द्दात्राओ ने विभिन्न क्रियाकलाप के अन्तर्गत स्थानीय फसलो को बढ़ावा देने के साथ इनके ओषधीय गुणों के बारे में जानकारी दी। बच्चों ने इस अवसर पर स्वाले, चौसा, कापला व चटनी बनाई।
कालेज के शिक्षक व गढ़भोज अभियान से जुड़े कृष्ण भट्ट एवं मन मोहन सिह पडियार ने बताया की वर्ष 2021 को गढ़ भोज वर्ष के रूप मे मनाया जा रहा है। इसके अन्तर्गत छात्रों को प्राथना सभा मे प्रत्येक दिन एक पारम्परिक फसल के बारे मे व उससे बनने वाले भोजन से शरीर को मिलने वाले तत्वों की जानकारी भी दी जाती है। बच्चे अपनी फसलो के बारे मे जानकारी रखें, उनके संरक्षण के लिये लोगो को प्रेरित करें, उसके लिये तय किया गया की पाकशस्त्र मे गढ़भोज को शामिल किया जाये।
निशा थपलियाल प्रवक्ता गृह विज्ञान ने कहा है कि इन स्थानीय फसलो का उपयोग हमारे पाठ्य क्रम में भी जोड़ा जा सकता है । इससे स्थानीय किसानो को भी लाभ प्राप्त हो सके। समय समय पर विघालय में छात्राओं को गढ़भोज के बारे में द्दत्राओं को अवगत कराया जाता है। प्रधानाचार्या विजयलक्ष्मी रावत, आभा बहुगुणा, मनोरमा नौटियाल, अंजु उनियाल एव समस्त अध्यापिका की तरफ से छात्राओ को गढ़ भोज की जानकारी समय समय पर दी जाती है।
जाड़ी संस्थान के सचिव व गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा है कि यह राज्य का पहला विद्यालय है, जहां पर प्रयोगात्मक परीक्षा में छात्राओ को स्थानीय फसलो की जानकारी एवं उनसे बनने बाले भोजन एवं उनके महत्व की जानकारी देने के साथ इसे परीक्षा मे शामिल किया गया।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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