यूपी के लखनऊ में भूकंप के जोरदार झटके, दहशत में आए लोग, एक दिन पहले उत्तराखंड और हिमाचल में डोली थी धरती

उत्तराखंड के बागेश्वर में था केंद्र
19 अगस्त की दोपहर को भूकंप के कारण उत्तराखंड में पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले के लोग दहशत में आ गए। भूकंप दोपहर करीब 12 बजकर 55 मिनट 55 सेकंड पर आया। रिक्टर स्केल में इसकी तीव्रता 3.6 दर्ज की गई। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का इसका आक्षांस 29.96 और देशांतर 80.12 था। साथ ही इसका केंद्र जमीन के भीतर करीब पांच किलोमीटर था। भूकंप के झटकों से लोग दहशत में आ गए और घरों से बाहर निकल आए। भूकंप का केंद्र बागेश्वर जिले का बरीखालसा बताया जा रहा है। हालांकि किसी नुकसान की कहीं से कोई सूचना नहीं आई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में भूकंप के झटके
वहीं हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में शुक्रवार को 3.1 तीव्रता का भूकंप आया है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने यह जानकारी दी. विभाग के अनुसार, इस प्राकृतिक आपदा से किसी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। भूकंप का केंद्र किन्नौर जिले में पांच किलोमीटर की गहराई पर था. विभाग के अनुसार, दोपहर करीब 12 बजकर दो मिनट पर जिले में और उसके आसपास भूकंप के झटके महसूस किए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।